जननी तू, जन्मभूमि तू,
तू ही है अर्धांगिनी !
सुता, अजा और शक्ति तू,
तू ही कहलाती बामांगिनी!
माता के नव रूपों में तू,
है सीता तू, शावित्री तू!
शिव की आधी शक्ति तू,
पीड़ा सह जग को जीवन देती तू!
मीरा बन भक्ति के पाठ सिखाती,
काली बन जग के प्राण बचाती!
है अबला तू, सबला भी तू,
लक्ष्मी भी तू, तुलसी भी तू!
विद्या के रूपों में है तू,
है श्रृष्टि तू, धरती भी तू!
है जीवन तू और मृत्यु तू,
गंगा भी तू, ममता भी तू!
जग पर क़र्ज़ बड़े हैं तेरे,
तेरे समक्ष शीश झुके हैं मेरे!
नारी, कोटि-कोटि नमन है तुझको,
माँ तू ही है जीवन दाईनि!
अमित~~
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13 comments:
मीरा बन भक्ति के पाठ सिखाती,
काली बन जग के प्राण बचाती!
है अबला तू, सबला भी तू,
लक्ष्मी भी तू, तुलसी भी तू!
बहुत सुंदर स्त्री के रूप को बंधा है आपने .....!!
( एक गुन्जरिश ....रचनाकारअपनी कलम से बड़े होते हैं उम्रों से नहीं ....कृपया उन्हें रिश्तों में न बांधें ....!! )
जग पर क़र्ज़ बड़े हैं तेरे,
तेरे समक्ष शीश झुके हैं मेरे!
नारी, कोटि-कोटि नमन है तुझको,
माँ तू ही है जीवन दाईनि!
कहते हैं जहां नारी की पूजा,
वहीं ‘देवता-निवास’..
देवताओं की क्या कहें ..वे जैसे हैं अच्छे हैं..
हीर जी और जाहिद जी, आपका बहुत बहुत धन्यवाद, आप लोगों कि प्रतिक्रियाएँ मेरे कलम में स्याही का काम करती है, बहुत बहुत धन्यवाद!
are waah......tum to bahut hi achha likhte ho , wahi kahun itte samajhdaar kaise
मौसी, आज आप यहाँ आई और मेरी लेखनी पर आपने टिप्पणी दी, मेरा लिखना सफल हो गया!
धन्यवाद!
अच्छा लिखा है आपने
dhanyawaad juli ji & surendra ji, aaplogon ki tippaniyan mere liye diye me maujud tel ke tarah kaam karti hain, dhanyawaad
जग पर क़र्ज़ बड़े हैं तेरे,
तेरे समक्ष शीश झुके हैं मेरे!
नारी, कोटि-कोटि नमन है तुझको,
माँ तू ही है जीवन दाईनि!
अमित यह पंक्तियाँ बहुत अपनी और नजदीक लगती हैं!!
dhanyawaad daisy aunty, aapko yaha dekh kar bahut khushi hui...
dhanyawaad..
susundar rachna Amit .....
kavi man najaane kahan ke ras apne kavita mai daal dete hai jo sirf uski mahatavta ka abhaas karate hai ..aam jeevan mai jo ghatta hai wo ek alag hi dristikond se dekhte hai aur padhne walon ko ahsaas karate hai ...aapki rachna yatharth ka hi aaina dikhati hai ...phir bhi yahi umeed karoongi har kisi ko yahi roop ka gyan aur ahsaas ho to jeevan aanad se bhar jaayegi,,nai ....naya aayam aur arth dono hi ilkar ek nari roop ko paribhasit karenge ...
gud work ..keep writing ...[:)]
thnx dipti ji, thanx a lot for ur comment...
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